प्रेम माधुर्य
प्रेम माधुर्य जीवन का रस है , जीवन का आधार है,प्रेम-रस का पूर्ण परिपाक मधुर रति में ही हुआ है | यह सर्व प्रेम रतियो का समन्वय है |"भक्तियोग" में लिखा है जिस प्रकार आकाशादी महाभूतो के गुण क्रम से अर्थात अन्य भूतो में उतरोतर बढकर एक,दो,तीन क्रम से,पृथ्वी में पञ्च भूतो के गुण है,उसी प्रकार मधुर रस में भी सब रस आकर मिल जाते है |सत्य,शिव और सुन्दर का साक्षात्कार इसी प्रेम माधुर्य के भाव से होता है | आत्मा कि यह कितनी मधुमयी रस मयी अवस्था होती है,जिसमे भगवान का नित्य सम्मिलन,सतत संयोग कितना मधुर और कितना आनंदप्रद होगा |वह नित्य विहार |वह मधुर मधु | वह परम रस जहा तृप्ति और अतृप्ति नही है |प्रेम में डूब कर उस आनंद को लेना और इस स्थिति में पहुच कर प्रेम माधुर्य का अनुभव और अनुभूति करना -
प्रेम माधुर्य जीवन का रस है , जीवन का आधार है,प्रेम-रस का पूर्ण परिपाक मधुर रति में ही हुआ है | यह सर्व प्रेम रतियो का समन्वय है |"भक्तियोग" में लिखा है जिस प्रकार आकाशादी महाभूतो के गुण क्रम से अर्थात अन्य भूतो में उतरोतर बढकर एक,दो,तीन क्रम से,पृथ्वी में पञ्च भूतो के गुण है,उसी प्रकार मधुर रस में भी सब रस आकर मिल जाते है |सत्य,शिव और सुन्दर का साक्षात्कार इसी प्रेम माधुर्य के भाव से होता है | आत्मा कि यह कितनी मधुमयी रस मयी अवस्था होती है,जिसमे भगवान का नित्य सम्मिलन,सतत संयोग कितना मधुर और कितना आनंदप्रद होगा |वह नित्य विहार |वह मधुर मधु | वह परम रस जहा तृप्ति और अतृप्ति नही है |प्रेम में डूब कर उस आनंद को लेना और इस स्थिति में पहुच कर प्रेम माधुर्य का अनुभव और अनुभूति करना -
My beloved is ever in my heart,
that is why i see him everywhere,
he is in the pupils of my eyes,
that is why i see him everywhere,
he is in the pupils of my eyes,
that is why I see him everywhere.
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