दिला दो भीख दर्शन की प्रभु तेरा भिखारी हूँ ||
चलकर दूर देश से, तेरे दरबार मै आया |
खड़ा हूँ द्वार पे दिल में , तेरी आशा का धारी हूँ ||
फिरा संसार चक्कर में भटकता रात दिन बिरथा |
बिना दीदार के तेरे, हमेशा मै दुखारी हूँ ||
तुही माता पिता बंधू,तुही मेरा सहायक है |
तेरे दासन के दासों का चरण का सेवकारी हूँ ||
भरा हूँ पाप दोषण से,क्षमा कर भूल मेरी |
वो ब्रहमानंद सुन विनती, शरण में मै तिहारी हूँ ||
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