प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से एक संवेदना जागृत हो ।

Wednesday, January 25

निसिदिन बरसत नैन हमारे |




निसिदिन  बरसत नैन हमारे |
सदा रहत पावस ऋतू हम पर जबते श्याम सिधारे ||
अंजन थिर न रहत अँखियाँ में कर कपोल भये कारे |
कंचुकी-पट सुखत नही कबहू,उर बिच बहत पनारे ||
अनसु सलिल भये पग थाके,बहै जाट सित तारे||
सूरदास अब डूबत है ब्रिज,कहे न लेत उबरे ||

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