मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना
तेरी संवरी सी सूरत मेरे मन में बस गई है...........
ऐ संवरे सलोने अब और न सताना....मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना..
बे जर.. बे दर ...बे घर ...हूँ तेरे दर पे आ पड़ी हूँ ....
तेरे दर ही बन गया है अब मेरा आशियाना.......मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना..
मुझे कौन जानता था तेरी बंदगी से पहले....मुझे कौन जानता था तेरी बंदगी से पहले....
तेरी याद ने बना दी मेरी जिंदगी फसाना..........मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना..
मुझे इसका गम नही है कि बदल गया जमाना.......मुझे इसका गम नही है कि बदल गया जमाना.......
मेरी जिंदगी के मालिक कंही तुम बदल न जाना..मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना..
ये सर वो सर नही है जिसे रखु फिर उठा लू....ये सर वो सर नही है जिसे रखु फिर उठा लू....
जब चढ़ गया चरण में ..आता नही उठाना..... मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना..
मेरी आरजू यही दम निकले तेरे दर पे......मेरी आरजू यही दम निकले तेरे दर पे......
अभी साँस चल रही है कंही तुम चले न जाना ....... मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना..
मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गई पुजारिन............... मुझे मिल गया ठिकाना
मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना
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