प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के
प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से
एक संवेदना जागृत हो ।
जब सौप दिया सब भार तुम्हे, फिर मारो या त्यारो कहे हम क्या ? अब अप ही प्यारे विचार करो , इस दीन दुखी को सहारा है क्या ? मझधार में लाके डुबाओ हमें , चाहे पार लगाओ किनारे पे ला | हम तेरे है तेरे रहेंगे सदा, अब और किसी को निहारेंगे क्या ?
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