प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के
प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से
एक संवेदना जागृत हो ।
आप भी यदि छोड़ देंगे फिर कहा जाऊंगा मै | जन्म दुःख से नाव कैसे पार पाउँगा मै || सब जगह मंजिल भटक कर अब शरण ली आपकी | पार करना या न करना दोनों मरजी आपकी ||
0 comments:
Post a Comment