भूल बिसर मत जाना कन्हैया, मेरी ओड़ निभाना जी |
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, कुंडल झलकत काना जी |
वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में,मोहन वंशी बजाना जी ||
हमरी तुम से लगन लगी है , नित प्रति आना जी |
घट-घट वासी अंतरजामी,प्रेम का पंथ निभाना जी ||
जो मोहन मेरो नाम न जानो,मेरो नाम दीवाना जी |
हमरे आँगन तुलसी का बिरवा, जिसके हरे हरे पाना जी ||
जो काना मेरो गाँव न जानो, मेरो गाँव बरसाना जी |
सूरज सामी पोल हमारो चन्दन चौक निसाना जी ||
या तो ठाकुर दरसन दीजो , नहीं तो लीजो प्राना जी |
मीरा के प्रभु गिरधर नगर,चरणों में लिपटाना जी ||