प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से एक संवेदना जागृत हो ।

Wednesday, January 25

मोहे तज कहा जात हो प्यारे

मोहे तज कहा जात हो प्यारे |
ह्रदय निकुंज आय अब बैठो | जल तरंगवत होत न न्यारे ||
तुम हो प्राण-जीवन-धन मेरे | तन-मन-धन सब तुम पर बारे ||
छिपे हो कहा जाय मन-मोहन | श्रवण नयन-मन संग तुम्हारे ||
फंसे प्रेम-रस फंद प्राण मन | प्रेम फंद रस सूरत बिसारे ||
"सुर" श्याम अब मिले ही बनेगी | तुम हौ सरबस मोपर हारे ||
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