प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से एक संवेदना जागृत हो ।

Wednesday, January 25

तेरी बंसरी ने क्या सितम किया ?




ऐ श्याम ! तेरी बंसरी ने क्या सितम किया ?
तनाका रहा न होश मेरे मनको हर लिया ||
वंशी की मधुर टेर सुनी प्रेम-रस-भरी |
ब्रज नर लोक-लाज  कम-काज ताज दिया ||
नभ में  चढ़े विमान खड़े  देवगण सुने |
मुनियों का चूता ध्यान प्रेम-भक्ति-रस पिया ||
पशुओ ने तजी घास पंची मौन हो रहे |
जमुना का रुका नीर पवन धीर हो गया ||
ऐसी बजाई बंसरी सब  लोक वश किया |
"ब्रहमानंद" दरस दीजिये, मोहे रस के रसिया ||
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