प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के
प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से
एक संवेदना जागृत हो ।
दरस बिनु दुखन लागे नैन ! जब से तुम बिछुड़े प्रभु मोरे कबहू न पायो चैन || सबद सुणत मेरी छतिया कापे मीठे लागे बैन || बिरह कथा कांसू कहू सजनी बह गई करवट ऐन || कल न परत पल हरि मग जोवत भई छमासी रैन || मीरा के प्रभु कब र मिलोगे दुःख मटन सुख दैन ||
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