प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से एक संवेदना जागृत हो ।

Wednesday, January 25

श्रीकृष्ण प्रेम लालसा






श्री कृष्ण प्रेम को जीवन में लाना है,
श्रीकृष्ण प्रेम लालसा को और बढाना है|
जब जीवन में सिर्फ प्रेम ही प्रेम होगा,
होठों पे बस केवल कृष्ण नाम होगा|
रह रह कर उनकी याद आया करेगी,
प्रेमाश्रुओं से आँख भर जाया करेगी|
कृष्ण वियोग में पागलों सा हाल होगा,
विरह में फँसाने वाला प्रेम जाल होगा|
उसमे फंस करके न निकलना चाहेंगे,
कृष्ण विरह में और उलझना चाहेंगे|
जीवन में बस केवल प्रेम को बढायेंगे,
प्रेम बढा करके प्रेमाभक्ति को पाएंगे|
असुअन मोती हार बनाया करेंगे,
प्रेम से चरणों में चढ़ाया करेंगे|
आंसुओं को प्रेम की निशानी बनायेंगे,
राधा कृष्ण हमारे प्रेम की कहानी बन जायेंगे|
प्रेमावस्था में हमारा गला रुंधा होगा,
प्यारा नीलमणि प्रेम बंधन में बंधा होगा|
जीवन में बस केवल श्याम रंग चढ़ जायेगा,
जादूगर श्याम जब हमसे नैना लड़ायेगा|
प्यारे के अलावा कुछ और नही चाहेंगे,
प्रिया प्रीतम को ही बस दिल में बसायेंगे|
सुबह-शाम बिहारीजी से नैना लड़ायेंगे|
जब हम श्री वृन्दावन में बस जायेंगे|
श्यामा श्याम को ढूंढने कुंजों में जायेंगे,
प्यारी जू की सखियों के दर्शन पाएंगे|
कन्हैय्या की याद में दिल को तड़पायेगें ,
दिन रात हम तो बस राधे राधे गायेंगे|
इसी लालसा को बस बढ़ाते ही जाना है,
फिर स्वयं को प्रिया प्रीतम से घिरा हुआ पाना है|
प्रेम लालसा को बढा करके एकरूप बन जाना है,
प्रेम रंग में डूब करके अपने अस्तित्व को ही मिटाना है|
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