प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से एक संवेदना जागृत हो ।

Wednesday, January 25

दरस म्हारे बेगी दीज्यो जी





दरस म्हारे बेगी दीज्यो जी |
ओ जी ! अंतरजामी ओ राम ! खबर बेगी लीज्यो जी
आप बिना कल न पडत है जी !
ओ जी ! तड़पत हूँ दिन रैन नैन नीर ढले छे जी
गुण तो प्रभु जी मो में एक नही छे जी !
ओ जी ! अवगुण भरे है अनेक, औगुण  म्हारा  माफ़ करीज्यो जी |
भगत बछल प्रभु बिडद कहायो जी !
ओ जी ! भगत के प्रतिपाल , सहाय आज म्हारी बेगी करज्यो जी
दासी मीरा की विनती छे जी !
ओ जी ! आदि अंत की ओ लाज,आज म्हारी राख लीज्यो जी
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