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प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से एक संवेदना जागृत हो ।
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Friday, February 3
यमुना पुलिन कुंज
February 03, 2012
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यमुना पुलिन कुंज गह्वर की, कोकिल ह्वै द्रुम कूक मचाऊँ।
पद-पंकज प्रिय लाल मधुप ह्वै, मधुरे-मधुरे गुंज सुनाऊँ॥
कूकुर ह्वै ब्रज बीथिन डोलौं, बचे सीथ रसिकन के पाऊँ।
'ललित किसोरी' आस यही मम, ब्रज रज तज छिन अनत न जाऊँ॥
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