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प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से एक संवेदना जागृत हो ।
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Friday, February 3
ब्रंदाबन सों बन उपबन सों,
February 03, 2012
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मन
लगाई
प्रीति
कीजै
कर
करवा
सों
,
ब्रजबीथिन
दीजै
सोहिनी
|
ब्रंदाबन
सों
बन
उपबन
सों
,
गुंज
माल
कर
पोहिनी
||
गो
गोसुतन
सों
मृग
मृगसुतन
सों
,
और
तन
नेक
न
जोहिनी
|
श्रीहरिदास
के
स्वामी
श्यामा
कुंजबिहारी
सों
,
चित
ज्यों
सिरपर
दोहिनी
||
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गौर-श्याम बदनारबिंद
प्रेमसमुद्र रुपरस
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ब्रंदाबन सों बन उपबन सों,
काहूको बस नहीं तुम्हारी कृपा ते
ज्योही ज्योही तुम
हित तौ कीजै कमलनैन सों
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