गौर-श्यामबदनारबिंद पर जिसको बीर मचलतेदेखा |
नैन बान, मुसक्यानसंग फँसफिर नहिनेक सम्भलतेदेखा ||
ललितकिसोरी जुगल इश्कमें बहुतोका घरघलते देखा|
डूबा प्रेमसिन्धु काकोई हमनेनहीं उछलतेदेखा ||
देखौ री, यहनन्द काचोर बरछीमारे जाताहै |
बरछी-सी तिरछीचितवन कीपैनी छुरीचलाता है||
हमको घायल देखबेदरदी मंदमंद मुसुकाताहै |
ललितकिसोरी जखम जिगरपर नौनपुरीबुरुकता है||
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