प्रेम जीवन का विशुद्ध रस । प्रेम माधुरी जी का सान्निध्य जंहा अमृत के प्याले पिलाए जाते है ।प्रेम माधुर्य वेबसाइट से हमारा प्रयास है कि इस से एक संवेदना जागृत हो ।

Thursday, April 19

श्री राम जन्मोत्सव





भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।।
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी।।

कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता।।
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता।।

ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर पति थिर न रहै।।
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै।।
माता पुनि बोली सो मति डौली तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा।।
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा।।

दिव्य श्रीराम मंदिर
It is good to keep a temple in your home; but make your house a temple.
हमारे घर में रह रही एक विभूति चाहे वह एक छोटा सा बालक हो या चाहे बुजुर्ग हो , सभी प्रभु श्रीराम ही है ।तो क्यों न हम घर को मंदिर बनाये,उसमे रह रहे सभी को लोगो को प्रभु अंश मानकर सभी से अच्छा व्यवहार करे । आज मंदिर बनाने की आवश्यकता नहीं है, आज हमारे घर को ही दिव्य मंदिर बनाने की जरुरत है । यह सच है कि समाज का निर्माण हम मनुष्य ही करते हैं। ठीक उसी तरह, यदि परिवार के सदस्य मिलकर एक निश्चित स्थान पर रहते हैं, तो घर का निर्माण होता है। यदि बारीक विश्लेषण किया जाए, तो हम पाएंगे कि हमारा घर एक मंदिर के समान होता है। वास्तव में, हम सभी ईश्वर का आशीर्वाद पाने के लिए मंदिर जाते हैं। हमारे घरों में भी ईश्वर के समान बडे-बुर्जुग होते हैं, जो हममें अच्छे संस्कार डालकर आशीर्वाद देते हैं। सच तो यह है कि घर भव्य भवन हो या झोपडा, उसमें व्यक्तित्व विकास का यज्ञ हमेशा चलता ही रहता है। इसलिए हमारा घर मंदिर के समान ही होता है। पहचान निर्धारित करता है घर | ध्यान रखें कि आप किसी ऊंचे पद पर हैं या अपना व्यवसाय चलाते हैं, हर स्थिति में आपकी भाषा-शैली से ही आपके घर के संस्कार झलकेंगे। यदि आप बातचीत के दौरान कटु भाषा का प्रयोग करते हैं, तो सामने वाला व्यक्ति इसके लिए आपको घर में दिए गए संस्कार को दोषी ठहरा सकता है। कहने का मतलब यही है कि आपकी पहचान घर ही निर्धारित करता है। इसलिए न केवल घर में, बल्कि घर के बाहर भी हमें मृदु-वाणी का प्रयोग करना चाहिए। यह संभव है कि हमें कभी-कभी परिस्थितिवश कठोर शब्दों का प्रयोग करना पडता है, लेकिन घर में प्रवेश करते ही हमें सावधान इसलिए भी हो जाना चाहिए, क्योंकि यहां उम्र में छोटे सदस्य भी रहते हैं, जिन पर हमारे आचार-व्यवहार का बुरा प्रभाव पडता है।
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